कृष्णमय शब्दावली
नयनन बिनु ज्योत दिखे,
पंगु लघ्यो विकट सागरक्षीर,
देह त्यज्यो बस देख लूं तोहे,
अंसुवन जल भरि भीज दूं तोहे,
कित दर्शन दोगे मोहे हे! रघुवीर,
राह तकूं नित बाट मैं जोहूं,
धीर धरूं निश्तेज पड़ूं कित,
चित्त चितवन मोरा कहा सुने ना,
घाव करत बढ़त...
पंगु लघ्यो विकट सागरक्षीर,
देह त्यज्यो बस देख लूं तोहे,
अंसुवन जल भरि भीज दूं तोहे,
कित दर्शन दोगे मोहे हे! रघुवीर,
राह तकूं नित बाट मैं जोहूं,
धीर धरूं निश्तेज पड़ूं कित,
चित्त चितवन मोरा कहा सुने ना,
घाव करत बढ़त...