...

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इल्तजा़ ....
बस इती इल्तजा़ है , उसे इतनी समझ दे,
यूं बेवफाई का खेल ना खेले हमसे ,
जिसकी सांसों में भी ,अब बस वही बसा हो ,
जिसकी नजरें ,उसकी गुलाम बन चुकी हो,
उनके संग आंख मिचौली का खेल ना खेले।।

ए- मौला बस इती- सी गुजारिश है तुझसे,
फिर कभी ऐसा ना कर,
जो नसीब में ना हो ,उसे दूर ही रख मुझसे
यूं मिलाकर दूर कर देना,
ये ग़म ना दे मुझे।।
© Anjali Singh