इश्क न सिखाओ मुझे 💞
रहने दो,अब म़फ्हूम ए इश्क न सिखाओ मुझे
गर कोई दवा है इस मर्ज़ की तो बताओ मुझे
आरज़ी देखा था उस मेहताब को कल छत पर
मिल नहीं रहा तब से दिल ,कुछ तो समझाओ मुझे
तू...
गर कोई दवा है इस मर्ज़ की तो बताओ मुझे
आरज़ी देखा था उस मेहताब को कल छत पर
मिल नहीं रहा तब से दिल ,कुछ तो समझाओ मुझे
तू...