...

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अभी तो !!!
ये पंक्तियां 17 मई 2010 को लिखी, थी जो मैं आज इस प्लेटफार्म पर प्रस्तुत कर रहा हूं उम्मीद है पसंद आएंगी।



अभी तो इतने बुरे दिन नही आये हैं अलबेला,
जब मिनरल वाटर को पवित्र जल समझा जाता है,
और यह पवित्र जल २० रूपए प्रति लीटर में ख़रीदा जाता है ,
बुरे दिन तो तब आएंगे,जब एक लीटर पानी के लिए हम किसी का भी जीवन लेने में तनिक भी न सकुचायेंगे।

अभी तो इतने बुरे दिन नही आये हैं,
जब हम लकड़ी का उपयोग अपने घरों की शोभा बढ़ाने के लिए करते है,
बुरे दिन तो तब आएंगे,
जब लगातार कटते हुए जंगलों की वजह से
ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए
ऑक्सीजन सीलेंडर्स हमारे घरों की शोभा बढ़ाएंगे।

अभी तो इतने बुरे दिन नही आये हैं,
जब पिता जी को "पा' कहा जाता है,
बुरे दिन तो तब आएंगे,
जब पिता जी का नाम सिर्फ पैदायशी सर्टिफिकेट में ही पाएंगे,
और " माँ-बाप " तथाकथित वृद्धा आश्रम में ढूंढे जायेंगे।

विनायक अलबेला...

© Vinayak Albela