...

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उनकी इन्हीं बातों में सियासत नज़र आती है...
तुम्हारी दस्त-गीरी में खिलाफत नज़र आती है।
आपकी दोस्ती में क्यों अदावत नज़र आती है।।
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वो कहता है कि निभाएगा मेरा साथ ताज़िंदगी,
उनकी इन्हीं बातों में सियासत नज़र आती है।।
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बच्चे मरकूज़ होके पढ़ रहें उसलूब ऐ मोहब्बत,
कि मां बाप को उनमें तिलावत नज़र आती है।।
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मैंने सुना है कि पीठ पे वो वार नहीं किया करते,
चलो दुश्मनों में इतनी हिमायत नज़र आती है।।
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किसी ने रोक रखा है रिश्तों का हवाला देके क्या,
अब आपके सितम में क़िफायत नज़र आती है।।
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जो अहले फ़न थे मेरे,सभी किनारा करने लगे हैं,
उनको "सिफ़र" बात अब आफत नज़र आती है।।
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- संजय सिफ़र
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कठिन शब्द

दस्त-गीरी =समर्थन
उसलूब ऐ मोहब्बत = मोहब्बत करने की क्रिया
मरकूज़ = केंद्रित होकर
तिलावत = किसी धार्मिक ग्रन्थ को पढ़ना

© संजय सिफ़र
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