इंसानियत
मेरी खामोशी मेरा सबर है
सोच जरा कितना मुझमे इंसानियत का बसर है
तुमको तो बस मेरे हस्ते हुए चेहरे की खबर है
क्या पता है , दर्द का इसके पिछे एक बडा सा नगर है
खुशिया वहा आती ही नही
फिर भी देख कहा मेरी इंसानियत पे इसका असर है ।
© pain.in.pain_2211
सोच जरा कितना मुझमे इंसानियत का बसर है
तुमको तो बस मेरे हस्ते हुए चेहरे की खबर है
क्या पता है , दर्द का इसके पिछे एक बडा सा नगर है
खुशिया वहा आती ही नही
फिर भी देख कहा मेरी इंसानियत पे इसका असर है ।
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