...

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हाँ मैं मजदूर हूँँ
हाँ मैं मजदूर हूँ ।
मजबूर नहीं , मजबूत हूँ ।

कारीगर हूँ मैं , दुनिया के सात अजूबों का
पत्थर को भी तराशकर, वो ईश्वर भी बना देता हूँ।

झुक जाता है सबका सर जहाँ आस्था से,
वो मंदिर और मस्जिद भी बनाता हूँ।

पर्वतों का सीना चीरकर मैं पथ भी बनाता हूँ ,
नदी नहरों को लाँघने वाला पुल बाँधने भी मैं जानता हूँ ,

ये तो फिर भी मेरी बनायी हुई पथ हैं,
अपनी लघु कदमों के मजबूत चाल से , इसे मैं रोंदना भी जानता हूँ।

हाँ मैं मजदूर हूँ ।
मजबूर नहीं , मजबूत हूँ ।


✍️ Laks
Mechanical Engg ( Jharkhand )