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पापा की तरह...
मेरे जन्म पर ही
जन्मे पापा
आकाश धरा के मध्य
सन्तति के साक्षात स्वरूप के
अहसास से अभिभूत
और,
अनवरत रत् हो गये
अपने आज कल औ सकल
व्यय करने में
गर्म-सर्द
परिस्थितियों के
पहाड़ो पर चढ़ते-उतरते
पथरीली-कंटीली
उम्र से लम्बी पगडंडियों पर
पांव पांव
क्षमता के वृक्ष की छांव तले
परिवार प्रस्थापित कर
कठिनाइयों की कड़ी धूप में
सबकुछ अच्छा है? का
चेहरा, अपने चेहरे पर लगाये
चुपचाप! मौन!! निशब्द!!!
चुपचाप, हम पर अपनी छाप!
मौन, एक पहचान कि
हम हैं कौन!!!
निशब्द, आम होकर
तब्दील कर एक खास सख्श़
आज पिता बन
जी रहे अन्दर ही अन्दर
पापा को,
पापा की तरह
© विपिन कुमार सोनी
#papakitarah #everyone #vipinkumarsoni #allahabadi #poetrycommunity
जन्मे पापा
आकाश धरा के मध्य
सन्तति के साक्षात स्वरूप के
अहसास से अभिभूत
और,
अनवरत रत् हो गये
अपने आज कल औ सकल
व्यय करने में
गर्म-सर्द
परिस्थितियों के
पहाड़ो पर चढ़ते-उतरते
पथरीली-कंटीली
उम्र से लम्बी पगडंडियों पर
पांव पांव
क्षमता के वृक्ष की छांव तले
परिवार प्रस्थापित कर
कठिनाइयों की कड़ी धूप में
सबकुछ अच्छा है? का
चेहरा, अपने चेहरे पर लगाये
चुपचाप! मौन!! निशब्द!!!
चुपचाप, हम पर अपनी छाप!
मौन, एक पहचान कि
हम हैं कौन!!!
निशब्द, आम होकर
तब्दील कर एक खास सख्श़
आज पिता बन
जी रहे अन्दर ही अन्दर
पापा को,
पापा की तरह
© विपिन कुमार सोनी
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