बेटी....
जिन्हें मिलनी चाहिये भरे बाजार में फासी ......
उन्हे मिलती कडी सुरक्षा ,होकर इतने बडे
अपराधी हैं.......
तारीख पे तारिक दि जाती हैं......
देख उन गुन्हगारो को ...
न जाणे डर डर कर कितनी माँ बेहने रोज
चिखती चिल्लाती हैं......
सह कर हैवानीयत वो घबराकर समाज के
बेहकावे में आकर अपने सारे आसू पी जाती हैं.....
जो हमेशा खुद रोकर सबको...
उन्हे मिलती कडी सुरक्षा ,होकर इतने बडे
अपराधी हैं.......
तारीख पे तारिक दि जाती हैं......
देख उन गुन्हगारो को ...
न जाणे डर डर कर कितनी माँ बेहने रोज
चिखती चिल्लाती हैं......
सह कर हैवानीयत वो घबराकर समाज के
बेहकावे में आकर अपने सारे आसू पी जाती हैं.....
जो हमेशा खुद रोकर सबको...