चाँद रात
बेचैन हो कर देखते थे रोज़ उसका सफर
जिसकी तन्हाई के साथ एक उम्र बिताई है,
कितनी मुद्दतों के बाद आज वो चाँद रात आई है ।
हर रंग था मेरे दामन में सिमटा यूं तो
कमी थी जिसकी साथ वो रंग इश्क का लाई है ,
कितनी मुद्दतों के बाद आज वो चाँद रात आई है ।
जिन लकीरों को बेरंग ही रखा था हमनें
आज तेरे नाम की मेहंदी उन हाथों पर...
जिसकी तन्हाई के साथ एक उम्र बिताई है,
कितनी मुद्दतों के बाद आज वो चाँद रात आई है ।
हर रंग था मेरे दामन में सिमटा यूं तो
कमी थी जिसकी साथ वो रंग इश्क का लाई है ,
कितनी मुद्दतों के बाद आज वो चाँद रात आई है ।
जिन लकीरों को बेरंग ही रखा था हमनें
आज तेरे नाम की मेहंदी उन हाथों पर...