...

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मजबूरी

झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
मजबूरी नहीं झूठ है,
तुम जानते हो कि जीवनमजबूरी नहीं झूठ है, तुम जानते हो कि जीवन में क्या-क्या ज़रूरी है।
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
और सबके अनुभवों से मिलकर ही आगे बढ़ने का रास्ता है।
मजबूरी की आवाज हमारे जीवन में आती है, और उसी मजबूरी से हम अपनी सोच को निर्धारित करते हैं।
हर मजबूरी को हमने अपने जीवन में एक
स्वागत दे दी है ,
और उसे एक दिलचस्पी और आशा के साथ अपने सा क्या-क्या ज़रूरी है।
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
और सबके अनुभवों से
मिलकर ही आगे बढ़ने का रास्ता है।
मजबूरी की आवाज हमारे जीवन में आती है, और उसी मजबूरी से हम अपनी सोच को निर्धारित करते हैं।
हर मजबूरी को हमने अपने जीवन में एक स्वागत दे दी है
और उसे एक दिलचस्पी और आशा के साथ अपने सा
झूठ नहीं मजबूरी है,
ये तुम समझते हो।
जीवन में जो होना चाहिए,
वो ज़रूरी है।
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
तो मजबूरी को क्या झूठ कहना।
जीवन में किसी भी परिस्थिति
में सच्चाई और असहमति के अनुरूप
जीना होगा, तो मजबूरी ही होगी सही।

© तरननऊम #writco challenge#writco app #poetrylovers #