क्या भूलू क्या याद करूँ
क्या भूलूँ क्या याद करूँ
मैं कैसे उन लम्हों का हिसाब करूँ।
चाँद की दूधिया रोशनी में उलझे ख्वाब गिनूँ
या तारे गिनती रातों की बात करूँ
मैं कैसे उन लम्हों का हिसाब करूँ।
बेबाकी से हँसते हुए जो कही थी...
मैं कैसे उन लम्हों का हिसाब करूँ।
चाँद की दूधिया रोशनी में उलझे ख्वाब गिनूँ
या तारे गिनती रातों की बात करूँ
मैं कैसे उन लम्हों का हिसाब करूँ।
बेबाकी से हँसते हुए जो कही थी...