#अनकहें_शब्द🥀
गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूं,
मैं मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा.!
मैं दुश्मनों से अगर जीत भी जाऊँ,
तो उनकी औरतें कैदी नहीं बनाऊँगा.!
चालाकी से तेरा जिस्म जीत भी लू लेकिन,
मैं पेड़ काट कर कश्ती नहीं बनाऊँगा.!
तुम्हें पता चले बेज़ुबान चीज का दुख,
मैं दीये 🪔की अब लो.. ही नहीं बनाऊँगा.!
मैं एक फिल्म बनाऊँगा जिंदगी पर एक दिन,
लेकिन उसमे रेल🚊 की पटरी नहीं बनाऊँगा..!!
Bhaskargguru
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मैं मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा.!
मैं दुश्मनों से अगर जीत भी जाऊँ,
तो उनकी औरतें कैदी नहीं बनाऊँगा.!
चालाकी से तेरा जिस्म जीत भी लू लेकिन,
मैं पेड़ काट कर कश्ती नहीं बनाऊँगा.!
तुम्हें पता चले बेज़ुबान चीज का दुख,
मैं दीये 🪔की अब लो.. ही नहीं बनाऊँगा.!
मैं एक फिल्म बनाऊँगा जिंदगी पर एक दिन,
लेकिन उसमे रेल🚊 की पटरी नहीं बनाऊँगा..!!
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