मां
मां के एक काजल के टीके से ,
मेरी उमर बढ़ जाया करती थी,
कितना मजा आता था न जब,
मां अपने हाथो से सहलाती थी॥
ले आता अगर कोई शिकायत,
बिना कुछ सुने ही वो लड़ जाया करती थी,
कितना प्यारा था न वो समा ,
जब मां बाहों के झूले में झुलाया करती थी।
खुद तो गीले में सोकर भी,
मुझको सूखे में सुलाया...
मेरी उमर बढ़ जाया करती थी,
कितना मजा आता था न जब,
मां अपने हाथो से सहलाती थी॥
ले आता अगर कोई शिकायत,
बिना कुछ सुने ही वो लड़ जाया करती थी,
कितना प्यारा था न वो समा ,
जब मां बाहों के झूले में झुलाया करती थी।
खुद तो गीले में सोकर भी,
मुझको सूखे में सुलाया...