प्रकृति (just feel it)
लेहेर पे लेहेर ,कभी चंचल तो कभी शांत
ये खुद में डूबा हुआ समंदर ,
उस से खिलता हुआ ये हवा,कभी इधर तो कभी उधर ,
जिसके चलते गुनगुना रहा ये समा
ये समा जो पहना हुआ है हरा ,बाहे खोल वो चुमताी आसमान
ये आसमां जिश्मे रंग बेसुमर ,कभी साफ तो...
ये खुद में डूबा हुआ समंदर ,
उस से खिलता हुआ ये हवा,कभी इधर तो कभी उधर ,
जिसके चलते गुनगुना रहा ये समा
ये समा जो पहना हुआ है हरा ,बाहे खोल वो चुमताी आसमान
ये आसमां जिश्मे रंग बेसुमर ,कभी साफ तो...