...

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नश्वर
दिल मेरा भी ये अब तो फ़ानी हुआ
जैसे अपने अज़ीज़ों की निशानी हुआ

था मेरा भी वो अब तो, चला भी गया
वो परिंदा भी अब तो कहानी हुआ

जाने क्या लिखता था वो, मेरी रुह में
अब वही, मेरी आँखों का पानी हुआ

मुन्तज़िर ही रहा मैं तो हर इक ज़िन्द में
जो भी क़तरा मिला वो तूफ़ानी हुआ

© srs