...

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मैंने जीना सीख लिया......
कभी अंधेरा, कभी चांदनी,
आंसू और मुस्कान है जीवन,
सुख - दुख के विरह मिलन का,
कुदरत का वरदान है जीवन...
निर्झर जैसा मानव जीवन,
सुख - दुख दोनों किनारे है।
उठती लहरें जीवन की मस्ती,
हम सब बहते धारे हैं
सुख - दुख के दोनों तिरो से
मैंने टकराना सीख लिया,
मैंने जीना सीख ...
एक समय जब ऐसा आया
जब घनघोर अंधेरा छाया,
जीवन पथ पर चलते - चलते ,
मंजिल से पहले थक गई थी काया।
लक्ष्य दूर और लंबी राहे, पथ तम था ढका,
तम का...