...

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अनजान
#WritcoPoemPrompt54
सवालो की कोई किताब हूं मैं,
खोया हुआ कोई जवाब हूँ मैं,
खुद से ही अंजान हूं मैं,
आखिर किसकी पहचान हूँ मैं!
दर्द से मेरा, रिश्ता गहरा हैं,
आखिर ये किसका चेहरा है,
जिस पर मेरी आंखों का पहरा हैं!
खुद को ढूंढने कहाँ जाऊ,
कोन है मेरा, दर्द किसको बताऊ!
खुद से ही भाग रही हूँ मैं,
आखिर क्यों, पूरी रात जाग रही हूँ मैं!
वो वक्त बहुत अच्छा था,
जब था मेरा बचपन!
बड़े होते ही बिखर गई ज़िंदगी,
रह गई उलझन!
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