निभा ना सके,,,,
तुम्हारे साथ रहना चाहते तो थे पर निभा ना सके,,,,, बहुत अरमानों के साथ आए हम तेरी दुनिया में सपने भी बहुत थे आंखो में,, सब कुछ किया मैने रिश्ता बचाने के लिए अपना ,, पर कुछ कमी रह जाती हर बार,,,,,,,,,, बहुत सितम किया तुमने हर बार मेरे साथ ,, हर बार माफी दे दी यही कमी थी मुझमें,, विश्वास करने कि हर बार कीमत चुकाई है मैने,,,,,,, क्यों कोई कोई रिश्ता बहुत कम चलता है दिल तो वहां भी वही है जो किसी प्रेमीयुगल के पास होता है फिर भावनाए अलग अलग क्यों होती है,,, ये भावनाए सबकी एक क्यों नहीं हो सकती हैं,,,, क्यों सब अपनी जिंदगी प्यार से नहीं चला सकते है कोन है सबका दुश्मन,,,,, कोन है जो हमारे रिस्तो को खत्म करता है,,,, क्यों लोग कई साल साथ रहने के बाद भी यही कहते है ,, तुम्हारे साथ रहना तो चाहते थे पर निभा ना सके,,,, कही ये हमारा अहम ईगो तो नहीं हम एक होकर भी एक नहीं रह पाते क्योंकि हम बस खु़द को सही मानते है,, ,,,,,,,,, बचाना चाहते हो खुद के रिश्तों को तो मार दो इस अहम ईगो को,,, फिर कोई सितम ना करेगा कोई ना सहेगा,,, किसी के भी सपने नहीं टूटेंगे,, कोई खुद को नहीं खोएगा बल्कि नयापन मिलेगा हर बार,,,,, अहम की जगह रेस्पेक्ट को दो ,,, फिर कोई ना कहेगा की हम रहना तो चाहते थे तुम्हारे साथ पर निभा ना सके ,,,,,,, पर निभा ना सके,,,,,,,,। ______मोहिनी