शून्य
मैं शून्य से निकला हूं,
एक दिन शून्य हो जाऊंगा,
जो भी कमाया खाया बिगाड़ा,
सब यहीं छोड़ जाऊंगा।
काम क्रोध इच्छा अभिलाषा,
सब यहीं भस्म हो जाएंगे,
ना ही कोई स्मरण रहेगा,
शब्द भी कहीं खो जाएंगे।
मुझे ज्ञान है कुछ नहीं बचेगा,
फिर भी मैं कर्म किए जाता हूं,
अस्तित्व के गहरे खालीपन में,
मैं भी यूं ही बहते जाता हूं।
© Musafir
एक दिन शून्य हो जाऊंगा,
जो भी कमाया खाया बिगाड़ा,
सब यहीं छोड़ जाऊंगा।
काम क्रोध इच्छा अभिलाषा,
सब यहीं भस्म हो जाएंगे,
ना ही कोई स्मरण रहेगा,
शब्द भी कहीं खो जाएंगे।
मुझे ज्ञान है कुछ नहीं बचेगा,
फिर भी मैं कर्म किए जाता हूं,
अस्तित्व के गहरे खालीपन में,
मैं भी यूं ही बहते जाता हूं।
© Musafir