...

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बदनसीबी
संभाल रखा है एक अरसे से..
मोहब्बत का गुलाबी गुलाब..
आज भी तुम्हारी दी डायरी में..
इश्क़ का वही ख़ुमार आज भी है..
तेरे दीदार की ख़ातिर ये दिल..
बेक़रार आज भी है..
मेरी बदनसीबी है ये..
जो मिल न सका..
मेरे ख़त का जवाब आज तक..
फिर भी...
तेरी एक हाँ का इंतज़ार..
मेरे दिल को आज भी है..
© ऊषा 'रिमझिम'