...

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शरण प्रभु
मेरे मालिक ने मुझे बस इतना सिखाया
गिरायेगा गर कोई तो कोई बढ़ कर थाम लेगा।
मैं ही तो हूँ हर जगह इस कायनात में।
कोई इंसान ही इंसानियत का काम लेगा।
अनगिनत है यहां हाथों में कांटे भरे।
कोई तो इस बागबाँ में गुलाब से काम लेगा।
है जमाना बदला हुआ लोग खुद से परेशां।
जो होगा उसकी शरण उसे वो परमधाम देगा
©️✍️ranjitsingh
© ranjitsingh