6 views
सोच सब पर भारी
तेज धूप
दो पल का आराम छाओ
रुकूँ या चलू
सब पर सोच भारी
दूर कहीं मंज़िल
कुछ बिछड़े
कुछ मिलेंगे
किस के साथ चलू
सोच सब पर भारी
जो छूट गये वो यादें
जो मिले नहीं वो ख़्वाब
नींद लू ख़्वाब के लिए
या चलू दोपहर में
मंज़िल अभी बहुत दूर
सोच सब पर भारी
कदम कदम साथ नहीं
मेरे तेरे कोई साथ नहीं
बस सोच सब पर भारी
बेवजह के जज़्बात है
© 𝕤𝕙𝕒𝕤𝕙𝕨𝕒𝕥 𝔻𝕨𝕚𝕧𝕖𝕕𝕚
दो पल का आराम छाओ
रुकूँ या चलू
सब पर सोच भारी
दूर कहीं मंज़िल
कुछ बिछड़े
कुछ मिलेंगे
किस के साथ चलू
सोच सब पर भारी
जो छूट गये वो यादें
जो मिले नहीं वो ख़्वाब
नींद लू ख़्वाब के लिए
या चलू दोपहर में
मंज़िल अभी बहुत दूर
सोच सब पर भारी
कदम कदम साथ नहीं
मेरे तेरे कोई साथ नहीं
बस सोच सब पर भारी
बेवजह के जज़्बात है
© 𝕤𝕙𝕒𝕤𝕙𝕨𝕒𝕥 𝔻𝕨𝕚𝕧𝕖𝕕𝕚
Related Stories
8 Likes
4
Comments
8 Likes
4
Comments