"तुझे आज़ाद करती हु"
तुम बता कर मुझे चाहते हो क्या करना,,
तुम्हे क्या लगता है हम वाकिफ नहीं,,
ज़र्रा ज़र्रा हमें तुम्हारी खबर देता है,,
और तुम बनते हो ऐसे अंजान,
जैसे हमें मालूम ही नहीं,,
अरे नादान तूने अभी हमें कम आंका है,,
हम इतने भी नादान नहीं,,,
तेरी नस नस से है वाक़िफ,,
हम ज़मीन है आखिर,,आसमान तो नहीं,,
सींचा तुझे अपने खून से मैने,
और तू मुझसे दगा...
तुम्हे क्या लगता है हम वाकिफ नहीं,,
ज़र्रा ज़र्रा हमें तुम्हारी खबर देता है,,
और तुम बनते हो ऐसे अंजान,
जैसे हमें मालूम ही नहीं,,
अरे नादान तूने अभी हमें कम आंका है,,
हम इतने भी नादान नहीं,,,
तेरी नस नस से है वाक़िफ,,
हम ज़मीन है आखिर,,आसमान तो नहीं,,
सींचा तुझे अपने खून से मैने,
और तू मुझसे दगा...