...

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तुम्हारे जाने के बाद
मैंने जाने कितने लोगों को जाते हुए देखा है,
परन्तु,किसी के जाने से किसी की जिंदगी को
खत्म होते हुए नहीं देखा।

वरन कुछ बदलाव के साथ चलती रही
और कुछ वक्त के बदलाव के बाद
वह सब दर्द भी कम होता रहा।

लेकिन जब तुम्हारे जाने का सोचती हूँ
जैसे देह से प्राण अपना नाता तोड़ देते हैं,
और बिन देह की आत्मा
बिन पानी मछली की तरह
छटपटा रही हो।

उस दिन क्या होगा
जब तुम मुझे
कवि की उदास कविताओं की तरह
बिना गुनगुनाये छोड़ जाओगे,
उस दिन प्रकृति मेरे लिए
बेरंग पन्ने की तरह बेजान हो जाएगी।

तुम्हारा ह्रदय मेरी पीड़ा को जानता है,
उसके बावजूद भी तुम्हारे चले जाने पर
मेरे पास सिर्फ एक विकल्प बचेगा-
मेरी कलम से निकली उदासी
तुम्हें हिचकी दिलाकर
मेरी निष्प्राण साँसों के जीवित होने का
प्रमाण देती रहेगी।

-सीमा शर्मा 'असीम'

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Pic credit ; pinterest