...

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मत छूना मेरी लाश को,
न छूना मेरी लाश को , न देना मुझे मुखाग्नि ,
न मेरे मरने का अफ़सोस जताना , साथ नहीं दे सकते तो अब मेरे साथ भी मत आना ,
अगर अपने नहीं बन सकते तो अपना पन मत जतना , अगर मैं मिल जाऊँ तुम्हें किसी रास्ते किसे राह पर , राहग़ीर हूँ राह का मान कर बेपरवाह निकल जाना ,
अगर मिल जायें कोई अनजान लाश तो देखने मत आना ,
अगर कोई दे ख़बर मेरी मौत की पहचानते नहीं कह कर मुकर जाना,
मेरी लाश को लगे चाहे कीड़े या चिल कौवे नोच खायें , न छूना मेरी लाश को , न देना मुझे मुखाग्नि ,
न मेरे मरने का अफ़सोस जताना।
अब गई हो तो फिर से कभी लौट कर भी मत आना।
-भास्कर_२८