आजादी
आज़ादी महज़ एक लफ़्ज़ नही मुकम्मल एहसास है...
जो आज़ाद होकर भी कैद में है और बेहाल है....
छटपटा रही है इंसानियत के वो किस जंजाल में है....... ज़िंदगी फड़फड़ाती हुई उलझी एक अदृश्य जाल में है...
कोई कहां किसी को पूछता है के वो किस...
जो आज़ाद होकर भी कैद में है और बेहाल है....
छटपटा रही है इंसानियत के वो किस जंजाल में है....... ज़िंदगी फड़फड़ाती हुई उलझी एक अदृश्य जाल में है...
कोई कहां किसी को पूछता है के वो किस...