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जिंदगी के चार दिन 😊
सुस्त ज़िन्दगी के दिन चार देखिये,
तेज़ भागते वक़्त की रफ़्तार देखिये
सिकुड़ती हुई उम्र के कमरे के बाहर
ख्वाहिशों की लम्बी क़तार देखिये,
रंगीपुती रिश्तों की दीवारों के अंदर
घर बनाती रंजिश की दरार देखिये
दुकाने इंसानियत की बंद हो गयीं
वहशियत का हर तरफ बाजार देखिये
झुक के पाँव छूती थी जो शोहरतें
आज उन्हें ही सर पर सवार देखिये
बाँट ली हैं साँसे बराबर के हिस्सों में
आंसू और हंसी के बीच करार देखिये
शायद कोई हमको खोजकर ले आये
गुमशुदगी का देकर इश्तेहार देखिये
दिल तो कबका इसमें दफ़न हो चूका
अब तो सिर्फ जिस्म की मज़ार देखिये...
#writco
© 𐌼я. ∂ιϰιт
तेज़ भागते वक़्त की रफ़्तार देखिये
सिकुड़ती हुई उम्र के कमरे के बाहर
ख्वाहिशों की लम्बी क़तार देखिये,
रंगीपुती रिश्तों की दीवारों के अंदर
घर बनाती रंजिश की दरार देखिये
दुकाने इंसानियत की बंद हो गयीं
वहशियत का हर तरफ बाजार देखिये
झुक के पाँव छूती थी जो शोहरतें
आज उन्हें ही सर पर सवार देखिये
बाँट ली हैं साँसे बराबर के हिस्सों में
आंसू और हंसी के बीच करार देखिये
शायद कोई हमको खोजकर ले आये
गुमशुदगी का देकर इश्तेहार देखिये
दिल तो कबका इसमें दफ़न हो चूका
अब तो सिर्फ जिस्म की मज़ार देखिये...
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