...

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प्रेमग्रंथ .....
चलो मिलकर ,
प्रेम ग्रन्थ लिखते है ....
एक-दूसरे की ,
सांसो का छंद लिखते है ....
इन अलंकार को !
ह्रदय पटल पर ,
सुशोभित करते हैं .....

सज कर हम ,
एक-दूजे की महक से ....
प्रेम की शीतलता से ,
ह्रदय पीड़ की रचनाओं को ,
तृप्त करते हैं .....

हम-तुम प्रेम का वो आसमां हैं ,
जो रंगीन इंद्रधनष को ....
हमारे व्याकुल ह्रदय को ,
अपने रंगों से छाया देता है ....
हम उस रंग की कल्पना लिखते हैं .....

भावनाओं की असंख्य लहरें ,
जो हिलोरें लेती है तुझ में ....
और सिमट के रह जाती है ,
वो मेरे आंचल से ,
हम मिलकर वो संदर्भ ....
एक-दुजे की आंखों में देखते हैं ....

होठों पर करवट लिए ,
उन प्रेम शब्दों से ... हम !
पिघला हुआं वो मुलायम एहसास ....
सांसो में एक-दुजे के ,
फिर पढ़ते हैं ...

प्रेम चांदनी की चादर वो ओढे़ .....
आई अनगिनत रातों का .....
सांसो की टहनियों पर बैठी ,
उस औस की बूदों का ....
वो सुकून हम लिखते हैं ....








#WritcoQuote #प्रेम