...

14 views

कहाँ चले जाते हो??
घूम फिर कर तुम्हारी ही गली आते है
तुम छुप कर खिड़की से झांकते हो
भूल जाते हो फ़लक से चांद और ज़मीं से हम
खुबसूरती के खुदा को निहारते हैं
© कृतिका जोशी