रात की बात
मैं बस कुछ देर के लिए
सँभालती हूँ
किसी के पक्षी को
बड़े जतन, बड़े प्यार से
फिर कोई ले जाता है उसे
अपने पास
मैं भीख माँगती हूँ झोली फैलाकर
रोते, बिलखते खुद को समझाती हूँ
फिर सब...
सँभालती हूँ
किसी के पक्षी को
बड़े जतन, बड़े प्यार से
फिर कोई ले जाता है उसे
अपने पास
मैं भीख माँगती हूँ झोली फैलाकर
रोते, बिलखते खुद को समझाती हूँ
फिर सब...