चंद अशआर ~
यूँ सदाक़त का पैरोकार है वो।
झूठ नित बोलता हज़ार है वो।
जो गुनहगार दरअसल में था,
बन गया साहिब ए क़िरदार है वो।
दिल ए नादां को कैसे समझाऊं,
अब रक़ीबों का तरफ़दार है...
झूठ नित बोलता हज़ार है वो।
जो गुनहगार दरअसल में था,
बन गया साहिब ए क़िरदार है वो।
दिल ए नादां को कैसे समझाऊं,
अब रक़ीबों का तरफ़दार है...