“तुम हो”
तुम हो उस चांद की तरह
जो कभी दिखता है कभी छुप जाता है
तुम हो उस ओस की तरह
जो कभी ठहरता है कभी लुढ़क जाता है
तुम हो सुबह की कोहरे की तरह
जो कभी छाया रहता है कभी छंट जाता है
तुम हो उस बादल की तरह
जो कभी घना होता है कभी उड़ जाता...
जो कभी दिखता है कभी छुप जाता है
तुम हो उस ओस की तरह
जो कभी ठहरता है कभी लुढ़क जाता है
तुम हो सुबह की कोहरे की तरह
जो कभी छाया रहता है कभी छंट जाता है
तुम हो उस बादल की तरह
जो कभी घना होता है कभी उड़ जाता...