...

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मैं और तु
#बिखर
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर ;
शीशा कहा टिकता गिर कर ,
अरे कहा कोई आशानि से मिलता बिछड़ कर ;
मैं यही खड़ा हूँ तुझ से लड़ के,
आ लग मेरे सिने से;
मैं सायद फिर न मिलूँ किसी के भीे कहने से,
मैं आया तुझे से फिर एक बार लड़ने को;
आ मैं भी कर लूँ थोड़ा समझौता,
थोड़ा मैं थोड़ा तु समेट ले इन बिखरे रिश्तों को;
अरे क्या हुआ अगर मुरझाये फुल नहीं खिलते,
पौधे में तो जान हैं ना;
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर ।



© MMM