...

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मयखाना मेरा ठिकाना
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे,
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं।
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे,
तबसे रूठी हर गली,हम अनजाने हैं।
ये शहर न था मेरा,
न रहा पहले भी,
पर मयखानों में खोए-खोए,
अपने सारे अफसाने थे।
है शहर रहे खाली जब,
मयखाना आबाद रहे।
दुनिया की नजरो में ये,
हमेशा ये बर्बाद रहे।
हमसे ना पूछो साकी,
कब घर को जाना हैं।
मिलना है अगर मुझसे किसी को ,
मयखाना मेरा ठिकाना है।


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