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अधूरी कवितावली...
अधूरे हैं जाने किस्से कितने
अधूरे हैं जाने वादे कितने
हुआ ही क्या है अब हो जाए जो
ये बातें भी अधूरी रह जाएं तो........
जीवन राहें जाने ले जाएं कहाँ
अधूरे दिखे रास्ते अब हर जगह
मंज़िल की चाह जगा बैठी खुद को खो
ये चाह भी अधूरी रह जाए तो.......
वेदना लिखी,अश्रु लिखे, तमाम की यादें
ना चले ज़ोर अब, एहसास किए व्यंग्य
क्रन्दन किया हालातों पर, हंसी आती अब तो
ये हंसी भी अब अधूरी रह जाए तो.......
अधूरी नज़्में, अधूरे मुक्तक, अधूरी ये कवितावली
पूर्णता की आशा नहीं, रह जाने दो सब कुछ खाली
अवर्णनीय भावनाएं, व्यक्त नहीं की रचना में जो
अधूरी ये रचना रह गई, अधूरी ही अब रह जाने दो.......
© vineetapundhir
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