वो दुआ क्या वो बंदगी ही क्या
वो दुआ क्या वो बंदगी ही क्या
तू नहीं हो तो ज़िंदगी ही क्या
वो परिंदा जो उड़ गया घर से
अब कि पिंजरा कि दस्तगी ही क्या
रात भर अश्क जब रहे बिस्तर
हम को अब कोई तिश्नगी ही क्या
सब वज़ीफ़े तो पढ़ दिए मैंने
बारगी और जुमलगी ही क्या
मार ही दे खुदा तू अब हम को
उस के बिन जी वो ज़िंदगी ही क्या
© Lekhak Suyash
#lekhaksuyash
तू नहीं हो तो ज़िंदगी ही क्या
वो परिंदा जो उड़ गया घर से
अब कि पिंजरा कि दस्तगी ही क्या
रात भर अश्क जब रहे बिस्तर
हम को अब कोई तिश्नगी ही क्या
सब वज़ीफ़े तो पढ़ दिए मैंने
बारगी और जुमलगी ही क्या
मार ही दे खुदा तू अब हम को
उस के बिन जी वो ज़िंदगी ही क्या
© Lekhak Suyash
#lekhaksuyash