...

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काफ़ी था
बहुत कुछ अनकहा रह गया
जुबां से लब्ज न कहा
तुमने आँखों से पुकारा
काफ़ी था,

उम्र दीदार करते गुजरे
बस तसव्वुर ही रहा
नजर भर मुड़ गए जाते-जाते नजारा
काफ़ी था,

तुम्हारी बढ़ी सी दुनिया की
कोई ख़ास हकीकत तो नहीं मैं
तर जाने की कीमत देकर भी...