“मजदूर”
“मजदूर हूं मैं”
मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं
आम इन्सान हूं कोई खुदा नहीं
घर बनाना आता है मुझे
तोड़ना नहीं
ठोकरें खा कर दो वक्त कि रोटी कमाता हूं मैं
मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं
घाव गहरे हैं...
मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं
आम इन्सान हूं कोई खुदा नहीं
घर बनाना आता है मुझे
तोड़ना नहीं
ठोकरें खा कर दो वक्त कि रोटी कमाता हूं मैं
मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं
घाव गहरे हैं...