ठोकर।
कितने नसीब से ठोकर खा कर उठे है।
कितने वादों से मुकरे है।।
तहसीव हमारी ही थी लव्स की।
बेकार में ही हम गुजरे हैं।
वो जवाना याद करता है मुझे ।
जहा हम भी कभी ठहरे थे ।
अब...
कितने वादों से मुकरे है।।
तहसीव हमारी ही थी लव्स की।
बेकार में ही हम गुजरे हैं।
वो जवाना याद करता है मुझे ।
जहा हम भी कभी ठहरे थे ।
अब...