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लता दी
बिखर गए सब सुर और ताल,
खामोश हुआ बजता सितार;
उस दिन हुआ संगीत को दुख,
जब हुआ खत्म एक महायुग।
अजर-अमर प्रतिभा की धनी,
कंठ में जिनके मधुर ध्वनि;
लता दी का वर्णन महज एक भ्रम,
संगीतकार नहीं वो संगीत है स्वयं।
है धन्य धरा ये आजीवन,
माॅं सरस्वती का अवतार हुआ;
जग को देकर गायन की विरासत,
संगीत की गलियों से दी रुखसत।
© insinuation_pen✒️
खामोश हुआ बजता सितार;
उस दिन हुआ संगीत को दुख,
जब हुआ खत्म एक महायुग।
अजर-अमर प्रतिभा की धनी,
कंठ में जिनके मधुर ध्वनि;
लता दी का वर्णन महज एक भ्रम,
संगीतकार नहीं वो संगीत है स्वयं।
है धन्य धरा ये आजीवन,
माॅं सरस्वती का अवतार हुआ;
जग को देकर गायन की विरासत,
संगीत की गलियों से दी रुखसत।
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