क्या यह वही है
क्या ये वही सकल ओ सूरत है
जिसके लिए तरसा था में कभी
आज रूबरू है तो मैं हैरां क्यों नही।
वो पाज़ेब उसके पैरों में दिए मेरे ही है
ये देख मै आज चौका क्यों नहीं।
वो उसकी पलके...
जिसके लिए तरसा था में कभी
आज रूबरू है तो मैं हैरां क्यों नही।
वो पाज़ेब उसके पैरों में दिए मेरे ही है
ये देख मै आज चौका क्यों नहीं।
वो उसकी पलके...