...

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प्राकृतिक प्रकोप

भू भू कर मची पुकार,
भागों भागों मचा हाहाकार !!
जंगल का जो नाश हुआ हैं,
पशुओं पर जो ज़ुल्म हुआ हैं,
उसी ज़ुल्म का हैं परिणाम
देख मचा हैं हाहाकार ||

वर्षों पहले आगाह किया था,
वृक्षरोपण का प्रचार किया था ,
मॉनसून की भारी वर्षा
देखो अब लाचार पड़ी हैं,
फसलें भी बर्बाद हुई हैं ,
क्यों बेरहमी बरसात हुई हैं ???

जंगल जंगल पता चला है,
भागों भागों हाहाकार मचा हैं।।
Global warming दहाड़ रहा हैं
Glacier भी पिघल रहा हैं
रेगिस्तान सैलाब बना हैं
क्यों मरने पर इंसान तुला हैं ।।

...aditya's poetry..........



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