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पूजा की थाली
पूजा की थाली
सुगंधित पुष्प तुम भी हो
जगत पूजा की थाली है
करो सद्कर्म थोड़े से
कि सुरभित सृष्टि भर कर दो !!
दीया है आत्मावलोकित
ये बाती द्व का बंधन है
इसे थोड़ा जला लो तुम
स्वयं को ज्योतिमय कर लो !!
स्वयं से द्वंद फिर कैसा
स्वयं से प्रश्न क्या करना
कि जी लो तत्वमसि को
कि द्व से मुक्त मन कर लो!!
यही है भक्ति निर्मल सी
है प्रज्ञा जागरण पूजा
समर्पण कर्ता भुक्त्वा का
यही तो संध्या अर्चन है!!
© eternal voice नाद ब्रह्म
सुगंधित पुष्प तुम भी हो
जगत पूजा की थाली है
करो सद्कर्म थोड़े से
कि सुरभित सृष्टि भर कर दो !!
दीया है आत्मावलोकित
ये बाती द्व का बंधन है
इसे थोड़ा जला लो तुम
स्वयं को ज्योतिमय कर लो !!
स्वयं से द्वंद फिर कैसा
स्वयं से प्रश्न क्या करना
कि जी लो तत्वमसि को
कि द्व से मुक्त मन कर लो!!
यही है भक्ति निर्मल सी
है प्रज्ञा जागरण पूजा
समर्पण कर्ता भुक्त्वा का
यही तो संध्या अर्चन है!!
© eternal voice नाद ब्रह्म
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