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Bati : Gahri dosti
गहरी दोस्ती


मैं अपने बचपन को याद करूं तो,

वो दोस्त बहुत याद आती है।।


उन यादों का पिटारा खोलू तो,

वो दिल में फिर से नई उमंग भर जाती है।

कोई नहीं था उसके जैसा मेरे जीवन में,

सारे सुख - दुख उससे बांट लिया करते थे।।


जो दिल की चाहत थी,

सब कह दिया करते थे।

आज याद करूं तो,

वो लम्हे दिल को छू जाते हैं।।


वो सखी मेरी हमेशा,

साथ मेरा दिया करती थी।

उतार - चढ़ाव वाले पलों को,

पल भर में आसान कर देती थी।।


मुस्कुराती थी मेरी जिंदगी,

उसकी एक झलक को देखके।


आज आसू भरी राहो में,

तुम याद बहुत आती हो।

तुम ही सखी, तुम ही बहन,

तुम ही मेरे जीवन की बहार हो।।


खो चुकी है अब बहार बो,

समय ने बदली अपनी स्थिति है।

दिल की दोस्ती है गहरी जितनी,

दूरी बड़ी है समय की उतनी।।


हो तुम वहाँ हू मैं यहाँ,

मिल पाना जैसे अब ना मुमकिन है।

मन में जीवन में रहोगे सदा,

यह मेरे दिल का एहसास है।।


है दोस्ती गहरी अपनी इतनी कि,

निभीते - निभाते ऐ उम्र भी कम पड़ जाएगी।।



- अनुभा पुरोहित
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