Bati : Gahri dosti
गहरी दोस्ती
मैं अपने बचपन को याद करूं तो,
वो दोस्त बहुत याद आती है।।
उन यादों का पिटारा खोलू तो,
वो दिल में फिर से नई उमंग भर जाती है।
कोई नहीं था उसके जैसा मेरे जीवन में,
सारे सुख - दुख उससे बांट लिया करते थे।।
जो दिल की चाहत थी,
सब कह दिया करते थे।
आज याद करूं तो,
वो लम्हे दिल को छू जाते हैं।।
वो सखी मेरी हमेशा,
साथ मेरा दिया करती थी।
उतार - चढ़ाव...
मैं अपने बचपन को याद करूं तो,
वो दोस्त बहुत याद आती है।।
उन यादों का पिटारा खोलू तो,
वो दिल में फिर से नई उमंग भर जाती है।
कोई नहीं था उसके जैसा मेरे जीवन में,
सारे सुख - दुख उससे बांट लिया करते थे।।
जो दिल की चाहत थी,
सब कह दिया करते थे।
आज याद करूं तो,
वो लम्हे दिल को छू जाते हैं।।
वो सखी मेरी हमेशा,
साथ मेरा दिया करती थी।
उतार - चढ़ाव...