आप से तू तक..
सच कहूँ तो कभी पूरा सावन है,
कभी महज़ बूंद भर प्यास है तू।
कभी निराशा का खाली आसमां,
कभी रिमझिम सी बरसात है तू ।
ये इंद्रधनुष . ..नहीं है...! तो न हो मेरा,
मेरी तो जगनुओं भरी...
कभी महज़ बूंद भर प्यास है तू।
कभी निराशा का खाली आसमां,
कभी रिमझिम सी बरसात है तू ।
ये इंद्रधनुष . ..नहीं है...! तो न हो मेरा,
मेरी तो जगनुओं भरी...