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जीवन एक अरदास
// #जीवन_एक_अरदास //
जब - जब मन हो बहुत उदास,
तब ह्रदय से कर एक अरदास;
मुस्कुरा थोड़ा तू बैठ मोरे पास,
आख़िर तू मेरा
दिल अपना न हो तनिक निराश।
जीवन आशा - निराशा का मेला,
जग हर जीवन का यही झमेला;
दुनिया का यही सत्यरंग रुपहला,
पल ना समझ स्वयं को अकेला।
जब समय लागे अतिरेक कठिन,
क्षण- क्षण चितवन हो रहा खिन्न;
मन उठत रहे विचार भिन्न- भिन्न,
ह्रदय- विह्वल करे अन्जान जिन्न।
स्वयं अन्वेषण मन चाहत चिन्ह,
पूंछ स्वयं क्या चाहता जीवन से,
स्वयं चित्त सागर बैठ कर मनन,
मत होने देना चितवन का भंजन।
सागर लहरों सा चंचल चितवन,
तुझमें शक्ति
अनंत मन सागर का कर मंथन;
तुझमें अवनि - अंबर सा संभल,
तू पा सकता हर विपदा का हल।
ह्रदय कमल सा कोमल - निर्मल,
सुन्दर मृगनयन तोरे गगन पटल;
बदली सा मन -भावन- कज्जल,
पर पंख तुम्हारे अतिरेक सबल।
पंख पूर्ण फैला कर रुप विशाल,
उड़ स्वच्छंद नभ पट से पाताल;
तुझमें
अनंत संभावनाएं तू अनंत पाल,
जीवन हरेक स्वप्न पूर्ण कर डाल।
© Nik 🍁
जब - जब मन हो बहुत उदास,
तब ह्रदय से कर एक अरदास;
मुस्कुरा थोड़ा तू बैठ मोरे पास,
आख़िर तू मेरा
दिल अपना न हो तनिक निराश।
जीवन आशा - निराशा का मेला,
जग हर जीवन का यही झमेला;
दुनिया का यही सत्यरंग रुपहला,
पल ना समझ स्वयं को अकेला।
जब समय लागे अतिरेक कठिन,
क्षण- क्षण चितवन हो रहा खिन्न;
मन उठत रहे विचार भिन्न- भिन्न,
ह्रदय- विह्वल करे अन्जान जिन्न।
स्वयं अन्वेषण मन चाहत चिन्ह,
पूंछ स्वयं क्या चाहता जीवन से,
स्वयं चित्त सागर बैठ कर मनन,
मत होने देना चितवन का भंजन।
सागर लहरों सा चंचल चितवन,
तुझमें शक्ति
अनंत मन सागर का कर मंथन;
तुझमें अवनि - अंबर सा संभल,
तू पा सकता हर विपदा का हल।
ह्रदय कमल सा कोमल - निर्मल,
सुन्दर मृगनयन तोरे गगन पटल;
बदली सा मन -भावन- कज्जल,
पर पंख तुम्हारे अतिरेक सबल।
पंख पूर्ण फैला कर रुप विशाल,
उड़ स्वच्छंद नभ पट से पाताल;
तुझमें
अनंत संभावनाएं तू अनंत पाल,
जीवन हरेक स्वप्न पूर्ण कर डाल।
© Nik 🍁
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