...

23 views

नहीं देखा (ग़ज़ल)
निगाहों सा पैना, धारीदार, कंटीला औजार नहीं देखा।
देखा हुस्न उसका जो, दुबारा आईना नहीं देखा।

कतल हुआ इंसान मुर्दा देखा, ज़िंदा नहीं देखा,
जीने की वजह को मेरे, फरिश्ता नहीं देखा।

जहान देखा चांद सितारों का, फलक तुझ सा नहीं देखा,
खजानों में खजाना, चमचमाता झुमका नहीं देखा।

होता रहा दिल घायल कई दफा, तेरी आरज़ू करके,
बेहका तेरी खुशबू से, फिर कभी गुलदस्ता नहीं देखा।

गुजरी हवा हर गली से, जाने कौन चूनर को उड़ाने,
हज़ारों में हज़ार, गोटा तेरी चुनर सा नहीं देखा।

खलिश रही बिन तेरे, अधूरा जीने में ऐ दिलरुबा,
सांसों सा जितना जरूरी कोई हमदम नहीं देखा।
© a_girl_with_magical_pen