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माँ
माँ की तो बात ही निराली है
कड़ी धूप में बरगद की छाया है माँ,
धरती पर भगवन की काया है माँ,
रोते बच्चे की मुस्कान है माँ,
माँ मंदिर में आरती की थाली है।
माँ की तो बात ही निराली है।
माँ की गोद मिल जाए तो हर बिस्तर बेकार है,
माँ के आँचल में ही बच्चो का संसार है।।
माँ है तो लगता है सब कुछ अपना है
माँ नही है तो लगता सब सपना है
माँ ही दुर्गा सरस्वती काली है।
माँ की हर बात निराली है।
ऊगली पकड कर चलाती है मां,
खुद से पहले हमे खिलाती है मां,
हमारे लिए रातभर जागती है मां,
माँ आंगन की तुलसी,चंदन, रोली है,
माँ की तो हर बात निराली है,
माँ वेद पुराण माँ गीता है,
माँ पावनता में सीता है,
माँ गंगा की पावन धारा,
माँ से घर आंगन चोबारा,
माँ सर्द दिनो मे चाय की प्याली है,
माँ की तो हर बात निराली है,
AMIT BIJALWAN
कड़ी धूप में बरगद की छाया है माँ,
धरती पर भगवन की काया है माँ,
रोते बच्चे की मुस्कान है माँ,
माँ मंदिर में आरती की थाली है।
माँ की तो बात ही निराली है।
माँ की गोद मिल जाए तो हर बिस्तर बेकार है,
माँ के आँचल में ही बच्चो का संसार है।।
माँ है तो लगता है सब कुछ अपना है
माँ नही है तो लगता सब सपना है
माँ ही दुर्गा सरस्वती काली है।
माँ की हर बात निराली है।
ऊगली पकड कर चलाती है मां,
खुद से पहले हमे खिलाती है मां,
हमारे लिए रातभर जागती है मां,
माँ आंगन की तुलसी,चंदन, रोली है,
माँ की तो हर बात निराली है,
माँ वेद पुराण माँ गीता है,
माँ पावनता में सीता है,
माँ गंगा की पावन धारा,
माँ से घर आंगन चोबारा,
माँ सर्द दिनो मे चाय की प्याली है,
माँ की तो हर बात निराली है,
AMIT BIJALWAN
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