...

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रोती-बिलखती यादें
जीवन के अंतिम क्षणों तक,
रोती-बिलखती यादें ही रह जाएंगी,,
काया जड़ित चेतना जब उड़ जाएगी,
होकर राख जब काया मिट्टी में मिल जाएगी,
तब तेरी यह अहमियत कहां जाएगी,



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